Today : 23 Nov. 2024

Hanuman jayanti ( हनुमान जयंती ) 2025 : Date , Auspicious Time , Importance of Hanuman jayanti


Hanuman jayanti 2025 : Date , Auspicious Time , Importance and Worship of Hanuman jayanti Rituals….

हनुमान जयंती 2025 : तिथि , शुभ मुहूर्त , पूजा विधि और हनुमान जयंती का महत्व ….

Hanuman Jayanti is a Hindu festival that celebrates the birth of Lord Hanuman, who is a central figure in Hindu mythology and is considered an ardent devotee of Lord Rama. Hanuman Jayanti falls on the 15th day of the bright half of the Hindu month of Chaitra, which typically corresponds to March or April in the Gregorian calendar. The festival holds immense religious and cultural significance for millions of Hindus.

हनुमान जयंती एक हिंदू त्योहार है जो भगवान हनुमान के जन्म का जश्न मनाता है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में एक केंद्रीय व्यक्ति हैं और भगवान राम के प्रबल भक्त माने जाते हैं। हनुमान जयंती हिंदू महीने चैत्र के शुक्ल पक्ष के 15वें दिन आती है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में मार्च या अप्रैल से मेल खाती है। यह त्यौहार लाखों हिंदुओं के लिए अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।


Hanuman Jayanti is on Saturday 12th April in 2025, on the day of Purnima Tithi.

हनुमान जयंती 12 अप्रैल 2025 शनिवार , पूर्णिमा तिथि के दिन है।

Poornima Auspicious Time ( पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त ) :-

  • Poornima Auspicious Timing : Poornima ( Hanuman Jayanti ) will begin on 12 April 2025, at 3:21 am and will end on April 13, 05:51 am.

    पूर्णिमा का शुभ समय : पूर्णिमा ( हनुमान जयंती ) 12 अप्रैल 2025 को सुबह 3:21 बजे शुरू होगी और 13 अप्रैल, सुबह 05:51 बजे समाप्त होगी।

Importane of Hanuman Jayanti ( हनुमान जयंती का महत्व ) :-

Hanuman Jayanti holds significant importance in Hinduism, and it is celebrated to commemorate the birth of Lord Hanuman, who is revered as a symbol of strength, devotion, and selfless service. Hanuman Jayanti emphasizes the importance of devotion (bhakti) to the divine. Lord Hanuman is considered an epitome of unwavering devotion and selfless service to Lord Rama.

हनुमान जयंती हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण महत्व रखती है, और यह भगवान हनुमान के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है, जो शक्ति, भक्ति और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक के रूप में पूजनीय हैं।हनुमान जयंती परमात्मा के प्रति समर्पण (भक्ति) के महत्व पर जोर देती है। भगवान हनुमान को भगवान राम के प्रति अटूट भक्ति और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक माना जाता है


Hanuman is celebrated for his exceptional strength, courage, and valor. His devotion to Lord Rama and his role in the Ramayana, where he played a pivotal part in rescuing Sita and defeating the demon king Ravana, symbolize the triumph of good over evil and the power of righteousness.

हनुमान को उनकी असाधारण शक्ति, साहस और वीरता के लिए मनाया जाता है। भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति और रामायण में उनकी भूमिका, जहां उन्होंने सीता को बचाने और राक्षस राजा रावण को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बुराई पर अच्छाई की जीत और धार्मिकता की शक्ति का प्रतीक है।

Symbol of Humility: Despite his immense strength and capabilities, Hanuman is known for his humility. He remained devoted to Lord Rama, always considering himself a humble servant. Hanuman Jayanti serves as a reminder of the importance of humility even in the face of great accomplishments.

विनम्रता के प्रतीक: अपनी अपार शक्ति और क्षमताओं के बावजूद, हनुमान अपनी विनम्रता के लिए जाने जाते हैं। वह स्वयं को सदैव एक विनम्र सेवक मानकर भगवान राम के प्रति समर्पित रहे। हनुमान जयंती महान उपलब्धियों के बावजूद भी विनम्रता के महत्व की याद दिलाती है।

Worship of Hanuman jayanti ( हनुमान जयंती की पूजा विधि ) :-

Along with worshiping Hanuman ji, it is also necessary to worship Shri Ram and Mother Sita ji. Hanuman ji will be very happy with this. Because Hanuman ji is the most favorite devotee of Lord Ram. And Hanuman ji is also happy with the worship of Ram.

हनुमान जी की पूजा के साथ-साथ श्री राम और माता सीता जी की पूजा भी जरूरी है। इससे हनुमान जी बहुत प्रसन्न होंगे।क्योंकि हनुमान जी भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हैं और राम की पूजा से हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं ।

  1. Go to the temple of Hanuman ji or take the idol of Hanuman ji in your home and place it on a platform spread with a red cloth.

    हनुमान जी के मंदिर जाए या अपने घर में हनुमान जी की मूर्ति लें और उसे एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।

  2. Apply red or yellow vermillion mixed with jasmine oil on Hanuman ji.

    हनुमान जी को चमेली के तेल में लाल या पीला सिन्दूर मिलाकर लगाए ।

  3. First get the sacred thread worn and then make a garland of red flowers and wear it on Hanuman ji.

    सबसे पहले जनेऊ धारण कराएं और फिर लाल फूलों की माला बनाकर हनुमान जी को पहनाएं।

  4. Light a lamp of ghee and incense. Offer coconut, fruits, sweets, Tulsi leaves, Motichoor laddu, paan etc. as offerings.

    घी का दीपक और धूप जलाएं। प्रसाद के रूप में नारियल, फल, मिठाई, तुलसी के पत्ते, मोतीचूर के लड्डू, पान आदि चढ़ाएं।

  5. Chanting the Hanuman mantra ” Om Shri Hanumate Namah ” is a common practice And Be sure to recite Hanuman Chalisa. If possible, also recite Sunderkand.

    हनुमान मंत्र ” ओम श्री हनुमते नमः “ का जाप आम प्रथा है और हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। यदि संभव हो तो सुंदरकांड का पाठ भी करें।

  6. Complete the puja with bhajan-kirtan and aarti.

    भजन-कीर्तन और आरती के साथ पूजा संपन्न करें
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Mythological story of Shri Hanuman ( श्री हनुमान की पौराणिक कथा ) :-

King Kesari of the Vanara kingdom, and his queen, Anjana, were devout followers of Lord Shiva. However, they were childless and sought the blessings of Lord Shiva for a child. Queen Anjana performed a severe penance to please Lord Shiva. Pleased with Anjana’s devotion, Lord Shiva granted her a boon. However, there was a slight misunderstanding during the boon-granting process. Anjana desired a son who possessed the divine qualities of Lord Shiva himself. Due to a celestial play of destiny, the wind god Vayu intercepted the boon, and Lord Shiva’s divine energy was transferred to Anjana.

वानर साम्राज्य के राजा केसरी और उनकी रानी अंजना, भगवान शिव के भक्त थे। हालाँकि, वे निःसंतान थे और उन्होंने संतान के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा। रानी अंजना ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। अंजना की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे वरदान दिया। हालाँकि, वरदान देने की प्रक्रिया के दौरान थोड़ी गलतफहमी हो गई थी। अंजना एक ऐसे पुत्र की कामना करती थीं जिसमें स्वयं भगवान शिव के दिव्य गुण हों। नियति के एक दिव्य खेल के कारण, पवन देवता वायु ने वरदान को बाधित कर दिया, और भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा अंजना में स्थानांतरित हो गई।

As a result of Lord Shiva’s blessings, Anjana gave birth to a son who was an incarnation of Lord Shiva – powerful, strong, and endowed with divine qualities. This extraordinary child was named Hanuman. It is believed that Hanuman’s birth anniversary is celebrated on the full moon day of the Chaitra month, known as Hanuman Jayanti.

भगवान शिव के आशीर्वाद के परिणामस्वरूप, अंजना ने एक पुत्र को जन्म दिया जो भगवान शिव का अवतार था – शक्तिशाली, मजबूत और दिव्य गुणों से संपन्न। इस असाधारण बालक का नाम हनुमान रखा गया। मान्यता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है, जिसे हनुमान जयंती के नाम से जाना जाता है।

Hanuman displayed his exceptional strength and divine attributes from a very young age. His playful antics often led to mischief, and he once tried to eat the sun, thinking it was a fruit. This incident marked an early demonstration of his incredible powers.

हनुमान ने बहुत कम उम्र से ही अपनी असाधारण शक्ति और दिव्य गुणों का प्रदर्शन किया। उसकी चंचल हरकतें अक्सर शरारतों का कारण बनती थीं और एक बार उसने सूरज को फल समझकर खाने की कोशिश की थी। इस घटना ने उनकी अविश्वसनीय शक्तियों का प्रारंभिक प्रदर्शन चिह्नित किया।

As Hanuman grew older, he became a devoted disciple of Lord Rama, the seventh avatar of Lord Vishnu. His unwavering loyalty and selfless service to Lord Rama played a pivotal role in the Ramayana, especially in the search for Sita and the subsequent battle against the demon king Ravana.

जैसे-जैसे हनुमान बड़े होते गए, वे भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के समर्पित शिष्य बन गए। भगवान राम के प्रति उनकी अटूट निष्ठा और निस्वार्थ सेवा ने रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से सीता की खोज और उसके बाद राक्षस राजा रावण के खिलाफ लड़ाई में।


Hanuman, embodiment of devotion and strength, symbolizes unwavering loyalty and selfless service in Hindu mythology. His birth anniversary, Hanuman Jayanti, is celebrated with reverence, commemorating the divine qualities of this revered deity.

भक्ति और शक्ति के प्रतीक हनुमान हिंदू पौराणिक कथाओं में अटूट निष्ठा और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। इस पूजनीय देवता के दिव्य गुणों का स्मरण करते हुए, उनकी जयंती, हनुमान जयंती, श्रद्धा के साथ मनाई जाती है।

Stay Happy and Healthy

आप सभी को हिंदू पंचांग की ओर से हनुमान जयंती 2025 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।🙏

Hindu Panchang wishes all of you a very happy Hanuman Jayanti 2025..🙏

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