Makar Sankranti Festival 2024: Date, Auspicious Timing, Importance of Makar Sankranti and Why do we celebrate Makar Sankranti?
मकर संक्रांति महोत्सव 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त का समय, मकर संक्रांति का महत्व और हम मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं?
Makar Sankranti is on 15th January 2024. Auspicious time is :-
- Starting of Makar sankranti – 15 january, morning 02:54 AM
मकर संक्रान्ति शरू होने का समय – 15 जनवरी, सुबह 02:54 बजे - Makar Sankranti Punya Kaal – 07:15 AM to 05:46 PM (Duration – 10 Hours 31 Mins)
मकर संक्रान्ति पुण्य काल – सुबह 07:15 से संध्या 05:46 तक (अवधि – 10:31 मिनट्स) - Makar Sankranti Maha Punya Kaal – 07:15 AM to 09:00 AM (Duration – 01 Hour 45 Mins)
मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल – सुबह 07:15 से सुबह 09:00 तक (अवधि – 01:45 मिनट्स)
Importance of Makar Sankranti ( मकर संक्रांति का महत्व )
In Sanatan .. Hindu religion, the new year starts with the first festival of Makar Sankranti. This day has special significance in Sanatan Dharma. It is believed that donating sesame, rice and pulses on this day leads to salvation. Also, taking bath in any holy river on this day has special significance.It is believed that by bathing in the Ganga and donating on this day, both the world and the afterlife of a person get improved. By bathing in the Ganga, one gets the virtue equivalent to donating 10 Ashwamedha Yagyas and 1000 cows, one attains salvation and gets rid of the sins of previous births. They are destroyed and the Gods and Goddesses are also pleased.
सनातन यानि हिंदू धर्म में नए साल की शुरुआत पहले पर्व मकर संक्रांति के साथ होती है. सनातन धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है.ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल, चावल, दाल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और दान देने से व्यक्ति के लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं.गंगा स्नान करने पर 10 अश्वमेध यज्ञ और 1000 गाय दान करने के बराबर पुण्य मिलता है,मोक्ष की प्राप्ति होती है ,पिछले जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और देवी देवता भी प्रसन्न होते हैं.
On this day, donate sesame, rice, pulses and woolen clothes and blankets to the needy. By doing this, along with Sun God, Shani Dev is pleased. Try to donate on this day.
इस दिन तिल, चावल, दाल का दान और जरुरतमंदों को ऊनी वस्त्र, कंबल का दान जरुर करें. ऐसा करने से सूर्य देव के साथ-साथ शनि देव की प्रस्न होते हैं | कोशिश करें इस दिन दान जरुर करें |
This festival is known by different names in different parts of the country. In some parts of India, it is called Makar Sankranti, in some parts it is called Pongal and in some parts, Makar Sankranti is also called Khichdi. Makar Sankranti is celebrated with a lot of decorations.People wear new clothes and taste home-made dishes usually made of jaggery and sesame seeds. Khichdi is also eaten in some parts of India and in some parts people eat boiled rice with fresh milk and jaggery with great enthusiasm.
इस पर्व को देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है | भारत के कुछ हिस्सों में मकर संक्रांति तो कुछ हिस्सों में पोंगल और कुछ हिस्सों में मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है | मकर संक्रांति को बहुत सारी सजावट के साथ मनाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और घर के बने व्यंजन जो आमतौर पर गुड़ और तिल से बने होते हैं उनका स्वाद लेते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में खिचड़ी भी खाई जाती है और कुछ हिस्सों में लोग बड़े उत्साह के साथ ताजे दूध और गुड़ के साथ उबले हुए चावल खाते हैं।
Why do we celebrate Makar Sankranti?
हम मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं?
मतभेद को दूर करके अच्छा संबंध स्थापित करने के लिए ।
To establish good relations by removing differences.
1. According to religious beliefs, on the day of Makar Sankranti, Surya goes to meet his son Shani Dev. At that time Saturn is representing Capricorn. Because Saturn is considered to be the lord of Capricorn. On this day, Sun enters Capricorn, the zodiac sign of Shani Dev, to resolve differences between father and son and establish good relations. Since then this Sankranti is celebrated as Makar Sankranti.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं। उस वक्त शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं । क्योंकि मकर राशि के स्वामी शनि माने जाते हैं | पिता और पुत्र के आपसी मतभेद को दूर करने और अच्छा संबंध स्थापित करने के लिए सूर्य इस दिन शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। तब से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है।
2. On the day of Makar Sankranti, Ganga ji followed Bhagiratha to Kapil Muni’s ashram and then merged into the ocean. On this day, Maharaj Bhagiratha had performed tarpan for his ancestors. This is the reason why even today a fair is held in Gangasagar, West Bengal on Makar Sankranti.
मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम में गयी और जाकर सागर में जा मिलीं। इस दिन महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था। यही कारण है कि आज भी मकर संक्रांति पर पश्चिम बंगाल के गंगासागर में मेला लगता है।
Special of Makar Sankranti
पतंग उड़ाने की परंपरा :- मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरू हुई और ये परंपरा आज भी निभाई जा रही है | संक्रांति के दिन बाजार से पतंग खरीद सकते हैं या फिर अपने बच्चे के साथ घर पर रंग-बिरंगी पतंग बना सकते हैं। पतंग को सजाने का काम बच्चे बहुत प्यार से करते हैं । संक्रांति वाले दिन आप बच्चो के साथ इस पतंग को उड़ाएं और मकर संक्रांति का मजा उठाये |
Stay Happy and Healthy
आप सभी को हिंदू पंचांग की ओर से मकर संक्रांति 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।🙏
Hindu Panchang wishes all of you a Happy Makar Sankranti 2024.🙏