Today : 14 Nov. 2024

Shri Ganesh Chalisa ( श्री गणेश चालिसा )

॥ श्री गणेश चालिसा ॥

दोहा

जय गणपति सदगुण सदन , कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण , जय जय गिरिजालाल॥

चौपाई

जय जय जय गणपति गणराजू , मंगल भरण करण शुभः काजू
जै गजबदन सदन सुखदाता , विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना , तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला , स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं , मोदक भोग सुगन्धित फूलं
सुन्दर पीताम्बर तन साजित , चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता , गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे , मुषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी , अति शुची पावन मंगलकारी
एक समय गिरिराज कुमारी , पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा , तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी , बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा , मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला , बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना , पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै , पालना पर बालक स्वरूप हवै॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना , लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं , नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं , सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा , देखन भी आये शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं , बालक, देखन चाहत नाहीं
गिरिजा कछु मन भेद बढायो , उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई , का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ , शनि सों बालक देखन कहयऊ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा , बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी , सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा , शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो , काटी चक्र सो गज सिर लाये॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो , प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे, प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा , पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई , रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें , तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे , नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई , शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी , करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा , जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा
अब प्रभु दया दीना पर कीजै , अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

दोहा

श्री गणेश यह चालीसा , पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै , लहे जगत सन्मान॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश , ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो , मंगल मूर्ती गणेश॥

॥ इतहि श्री गणेश चालिसा ॥

Stay Happy and Healthy

Ganpati Bappa Morya Mangal Murti Morya ( गणपति बप्पा मोरया,मंगल मूर्ति मोरया ) 🙏

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